गुमनाम पत्र’ और पवार की तीन पीढ़ियों का झगड़ा, बारामती में राजनीतिक उत्तराधिकार की दिलचस्प लड़ाई
पवार परिवार की राजनीति का इतिहास
कुछ दिनों पहले अजीत पवार ने एक्स पर एक पत्र जारी कर अपने चाचा शरद पवार से बगावत का कारण बताया था। उनके खुले पत्र के बाद अब बारामती में ‘बारामतीकरांची भूमिका’ (बारामती के लोगों की भूमिका) शीर्षक वाला एक गुमनामी पत्र जारी हुआ है। इसमें पवार परिवार की राजनीति में शुरुआत का इतिहास बताते हुए लिखा गया है कि सबसे पहले शरद पवार की माता स्व. शारदाबाई पवार स्थानीय निकाय सदस्य के रूप में चुनकर आईं। उसके बाद उनके सबसे बड़े पुत्र अप्पासाहेब पवार एवं मंझले पुत्र शरद पवार राजनीति में आए। अप्पासाहेब उस समय की मजबूत पार्टी शेतकरी कामगार पक्ष से जुड़े थे, जबकि शरद पवार ने कुछ दिन बड़े भाई के साथ रहने के बाद कांग्रेस का रुख किया।
पवार के बाद की पीढ़ी के लिए परिवार में दो लड़के तैयार थे। बड़े भाई अप्पासाहेब के पुत्र राजेंद्र पवार और दूसरे नंबर के भाई अनंतराव पवार के पुत्र अजीत पवार। राजेंद्र पवार का कहना है कि उस समय मैं खेती-बाड़ी देख रहा था, इसलिए मेरे हर तरह से सक्षम होने के बावजूद मेरे पिता अप्पासाहेब और काका शरद पवार ने मिलकर मेरे दूसरे नंबर के चाचा अनंतराव के पुत्र अजीत पवार को राजनीति में आगे बढ़ाने का निर्णय किया। इसका परिणाम है कि अजीत पवार अब तक पांच बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं और शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले तीन बार बारामती संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व कर चुकी हैं।
शरद पवार का कुछ और है रुख
अब बारी आती है शरद पवार की तीसरी पीढ़ी की। झगड़े की शुरुआत यहीं से होती है। कहा जा रहा है कि अजीत पवार अपने पुत्र पार्थ पवार को राजनीति में आगे बढ़ाना चाहते हैं। पार्थ एक बार मावल संसदीय सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं, लेकिन शरद पवार अपने बड़े भाई अप्पासाहेब के पौत्र एवं राजेंद्र पवार के पुत्र रोहित पवार को आगे बढ़ाना चाहते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में रोहित अहमदनगर की कर्जत-जामखेड़ सीट से विधायक चुने गए हैं।
गुमनाम पत्र जारी होने के बाद राजेंद्र पवार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ऐसे गुमनाम पत्र तभी जारी होते हैं, जब लोगों पर दबाव होता है। लेकिन, दबाव किसका, किस पर है, यह वह स्पष्ट नहीं करते। वैसे यह स्पष्ट हो चुका है कि राजनीति में पवार परिवार की चार पीढ़ियों में से बाद की तीन पीढ़ियों में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो चुकी है। शरद पवार के नेतृत्व एवं अजीत पवार के खून-पसीने से तैयार हुए बारामती क्षेत्र पर भविष्य में शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले राज करेंगी या राजेंद्र पवार का पुत्र रोहित पवार या अजीत पवार का पुत्र पार्थ पवार, इसका निर्णय इस बार का लोकसभा चुनाव कर देगा।
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