NOI लखनऊ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर मथुरा की उपेक्षा करने और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से मुंह मोड़े रहने के लिए उन्हें उलाहना दिया। यह भी कहा कि ‘अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हमें स्वाभाविक रूप से मथुरा की ओर देखना होगा। भगवान राम के मामले में तो जो कष्ट हुआ, वह सबके सामने है लेकिन अब भी मौका है, अब भी बोल दो। कोई साथ आएगा तो हम उसे लेकर मटकी फोड़ने चलेंगे।’
रविवार को लखनऊ में यादव महाकुंभ कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मोहन यादव भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुखातिब थे। इनमें बड़ी संख्या में यादव बिरादरी के कार्यकर्ता थे। यादव बिरादरी की उत्पत्ति को ययाति के पुत्र यदु से जोड़ते हुए कहा कि यादव अपने पिता के कष्ट में उस समय भी हाथ बढ़ाकर मदद करते दिखाई दिए थे और आज भी कष्टों का निवारण करना जानते हैं।

अखि‍लेश का नाम ल‍िए ब‍िना बोला हमला 

सपा अध्यक्ष का नाम लिए बिना हमला जारी रखते हुए कहा कि ‘श्रीकृष्ण हमारे समाज के आराध्य हैं। जिन पर मथुरा की ओर देखने और मथुरा का आनंद दिलाने की जवाबदेही थी, उन्होंने क्या किया, यह समाज के सामने हैं। और तो और उन्होंने तो इसमें अवरोध पैदा करने वालों को समर्थन देकर सरकार चलाने का दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य किया। वो तो सरकार के साथ थे, यह तो कह सकते थे कि जो करो करो लेकिन मथुरा को तो मुक्त करो।’

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में व्यक्ति अपनी योग्यता और क्षमता से आगे बढ़ता है, जबकि राजतंत्र में राजा का बेटा परिवारवाद के आधार पर आगे बढ़ता है। क्रांतिकारियों ने राजतंत्र को समाप्त कर लोकतंत्र की स्थापना के लिए ही आत्मोत्सर्ग किया था। सिर्फ भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जिसने बिना कोई पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि होते हुए भी उनके जैसे साधारण कार्यकर्ता को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया।

इससे पहले भाजपा प्रदेश मुख्यालय में उनका स्वागत व अभिनंदन हुआ। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री गिरीश यादव, राज्यसभा सदस्य संगीता यादव, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह व बृज बहादुर, प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला, राम प्रताप चौहान, सुभाष यदुुवंश, विधायक रामचन्द्र यादव, आशीष यादव, यादव महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डा. राम कैलाश यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अजय यादव आदि मौजूद थे।

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