मिशन काबुल, भारत विरोधी गतिविधियों में तालिबान के इस्तेमाल का पाकिस्तान खम ठोंक रहा
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान के शासन में आने से मची अफरा-तफरी में हर भारतीय को सुरक्षित ठिकाने तक वह इसी वजह से पहुंचा पा रहा है। अफगानिस्तान से भारत के प्राचीन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध रहे हैं। मधुर संबंधों की थाती को हम आज तक सहेजते रहे हैं तभी तो बिखर चुके अफगानिस्तान के पुननिर्माण के लिए भारत ने तिजोरी खोली। इसके सृजनात्मक कदमों की तालिबान ने भी प्रशंसा की है। हालांकि अब तस्वीर बदल चुकी है। भारत विरोधी गतिविधियों में तालिबान के इस्तेमाल का पाकिस्तान खम ठोंक रहा है।
सचिन कुमार कश्यप ने बताया कि अफगानिस्तान भारत का मित्र देश है। भारत अफगानिस्तान को समय-समय पर निवेश के द्वारा वित्तीय सहायता एवं कूटनीतिक मजबूती प्रदान करता रहा है। इसकी मदद से भारत पकिस्तान पर भी वैश्विक कूटनीतिक दबाव बनाए रखने में सफल रहा है। इसलिए भारत को वर्तमान अफगान समस्या में अपनी कूटनीतिक सक्रियता को बनाए रखना चाहिए, ताकि भविष्य में अफगान क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली समस्या पर भी काबू पाया जा सके।
गौरीशंकर अंतज ने बताया कि भारत की विदेश नीति वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर आधारित है। यह भी सत्य है कि मौजूदा समय में भारत किसी भी स्तर पर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। अफगानिस्तान मामले में भी चीन और पाकिस्तान की चालबाजियों पर भारत आसानी से जीत हासिल कर लेगा। फिलहाल अफगानिस्तान के लोगों का सहयोग करना भारत का कर्तव्य है और भारत सरकार ने भी इसे अपनी प्राथमिकताओं में रखा है।
विजय कुमार धानिया ने बताया कि पाकिस्तान और चीन की नीतियां हमेशा तालिबान के पक्ष में रही हैं। जिस तरह से अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है, वह भारत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि भारत सरकार सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है और इस मामले में भी सरकार उचित कदम उठाएगी। चीन और पाकिस्तान की चालाकियां भी भारत की कूटनीतिक क्षमता को मात नहीं दे सकती हैं।
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