काबुल, NOI: अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान  ने अपना कब्जा जमा लिया है। पिछले सप्ताह काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए बम धमाके में देश छोड़कर जाने वालों में शामिल 34 वर्षीय पत्रकार अली रेजा अहमदी और उसके छोटे भाई की मौत हो गई। अभी एक महीना पहले पत्रकार अली की सगाई हुई थी और अब वह अपने भाई के साथ किसी भी तरह यहां से बाहर निकलना चाहते थे ताकि बेहतर भविष्य बना सकें। धमाके में नजमा की भी मौत हो गई जो  अपने नए घर से अपना नया यू-ट्यूब चैनल चलाने की शुरुआत कर रही थी।  उसे लगता था कि तालिबान के रहते अफगानिस्तान में उसका सांस लेना भी दूभर कर दिया जाएगा। इसलिए वह किसी भी हालत में तुरंत देश छोड़कर जाना चाहती थी लेकिन  दुनिया को ही अलविदा कह दिया।

उसी दिन काबुल स्थित हामिद करजई एयरपोर्ट के बाहर अपने नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप के सर्टिफिकेट के साथ मुहम्मद जन सुल्तानी पहुंचे ताकि उन्हें एयरपोर्ट के अंदर जाने में आसानी हो दुर्भाग्यवश तभी हुए आत्मघाती विस्फोट  में अपनी जान गंवा दी। 25 वर्षीय इस एथलीट मुहम्मद जन सुल्तानी का नाम बाहर भेजे जाने वाले लोगों की सूची में नहीं था। पर इस युवा को लगा कि वह इन पदकों के सहारे अपने परिवार को अफगानिस्तान से बाहर सुरक्षित निकालने में सफल हो सकता है। उसे लगा विभिन्न देशों के लिए जा रहे विमानों में से संभवत: उसे और उसके परिवार को भी जगह मिल सकेगी।

वह जैसे ही काबुल एयरपोर्ट के गेट के पास पहुंचा कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का एक आत्मघाती हमलावर ने वहां धमाका कर दिया। इस हमले में पत्रकार की मौत हो गई लेकिन उनकी पत्नी और दो बच्चे चार साल का जाहिद और दो साल की जाहरा बच गए हैं। वह उन सबको पीछे रहने की हिदायत देकर गेट की तरफ बढ़ गया था। इस हमले में सुल्तानी समेत 169 अफगानी मारे गए और 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हो गई।


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