लखनऊ, NOI : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी के क्रम में प्रदेश के 74 जिलों में विचार संगोष्ठी (प्रबुद्धजन सम्मेलन) कर चुकी बहुजन समाज पार्टी अब मंगलवार को लखनऊ में प्रबुद्धजन को टटोलेगी। बसपा मुखिया मायावती लम्बे अंतराल के बाद मैदान में उतरकर बसपा की विचार संगोष्ठी को संबोधित करेंगे। मायावती 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर मौजूद रहेंगी।

लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश कार्यालय में होने वाली इस विचार संगोष्ठी (प्रबुद्धजन सम्मेलन) को बसपा मुखिया की सोशल इंजीनियरिंग भी माना जा रहा है। लखनऊ में आज वह ब्राह्मणों से संवाद करेंगी। इससे पहले प्रदेश के 74 जिलों में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र प्रबुद्धजन सम्मेलन कर चुके हैं। लखनऊ के सम्मेलन को उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री तथा बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती संबोधित करेंगी। बसपा प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश भर से ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि जुटेंगे।

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज को रिझाने के लिए बहुजन समाज पार्टी के अब तक चल रहे प्रयासों में अब एक जोर खुद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी लगाएंगी। बसपा उत्तर प्रदेश की सत्ता के लिए सोशल इंजीनियरिंग का सूत्र फिर आजमाने के लिए अब तक 74 जिलों में प्रबुद्धजन सम्मेलन कर चुकी है। आखिरी सम्मेलन मंगलवार को लखनऊ में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में होगा, जिसमें पार्टी की मुखिया मायावती भी मौजूद रहेंगी।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी-अपनी जीत का समीकरण बनाने के लिए सभी दल विभिन्न जाति-वर्गों को जोडऩे की हर कोशिश कर रहे हैं। पिछड़े और दलितों के अलावा सवर्णों में खास तौर से ब्राह्मणों पर सपा और बसपा की नजर है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ के वर्ष 2007 के सफल फार्मूले को दोहराने की मंशा से सोशल इंजीनियरिंग को फिर हथियार बनाया है।

ब्राह्मणों को पार्टी से जोडऩे की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी गई। उन्होंने 23 जुलाई को अयोध्या से प्रबुद्धजन सम्मेलन की शुरुआत की। इसके बाद अलग-अलग चरणों में सम्मेलन करते हुए अब तक 74 जिलों में ब्राह्मणों के बीच मंच सजा चुके हैं। आखिरी जिला लखनऊ बचा है। सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि राजधानी में हो रहे सम्मेलन में प्रदेश भर से भी समाज के बड़ी संख्या में प्रतिनिधि बुलाए गए हैं, जिन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती संबोधित करेंगी।

मिश्र ने कहा कि राज्यभर में सम्मेलनों में मौजूदा प्रदेश सरकार से ब्राह्मणों की जबरदस्त नाराजगी दिखी। मिश्र के मुताबिक वर्ष 2007 में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से पहले दो वर्षों तक उन्होंने इसी तरह के सम्मेलन किए थे। उन सम्मेलनों में भी तत्कालीन सपा सरकार के प्रति समाज की उतनी नाराजगी नहीं थी, जितनी इस समय देखने को मिल रही है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि भाजपा सरकार के साथ ही सपा से भी समाज की नाराजगी है। ऐसे में बसपा के प्रति काफी उत्साह नजर आ रहा है। 

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