NOI, कोलकाताः कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर चुनाव बाद हिंसा की जांच कर रही सीबीआइ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की विशेष समिति से उन शिकायतों की सूची भेजने के लिए लिखा है, जिसकी परिस्थितिजन्य दबाव के कारण जांच नहीं हो सकी। सीबीआइ को ऐसी अलग से लगातार शिकायत मिल रही है। कई पीड़ित तो सीबीआइ के साल्टलेक स्थित दफ्तर पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि केंद्रीय एजेंसी एनएचआरसी की विशेष समिति से सूची प्राप्त करना चाहती है, क्योंकि उन्हें ऐसे कई लोगों की शिकायतें मिली हैं जो उच्च न्यायालय को सौंपी गई एनएचआरसी रिपोर्ट में नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक एनएचआरसी ने हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट में राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा में हत्या के 29 मामलों और दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न के 12 मामलों का उल्लेख किया था, लेकिन सीबीआइ अधिकारियों के पास जो शिकायतें आ रही है वह कहीं और अधिक है।

सूत्रों ने कहा कि कुछ पीड़ित और उनके परिवार के सदस्य, जिनके मामले अभी दर्ज नहीं हुए हैं, वे अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए कोलकाता में सीबीआइ कार्यालय पहुंच रहे हैं। हालांकि, सीबीआइ जांच दल के सदस्य मामलों की जांच के लिए राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार जा रहे हैं, लेकिन वे अभी तक सभी तगहों तक नहीं पहुंच पाए हैं। सीबीआइ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लोग नई शिकायतों के साथ हमसे संपर्क कर रहे हैं। शिकायतों की संख्या काफी अधिक है और यह एनएचआरसी की सूची में नहीं है। हमने एनएचआरसी से हमें उन लोगों की सूची प्रदान करने के लिए कहा है जिनसे किसी अन्य कारणों से पूछताछ नहीं की जा सकी थी।

अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि हमारी टीम के सदस्यों के जिलों और गांवों के दौरे से आतंकी लोगों में साहस आया है और अधिक लोग अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे राज्य पुलिस के पास अपनी शिकायत दर्ज करने में विफल रहे और इसलिए, वे अब हमारे कार्यालय और शिविरों की ओर आ रहे हैं। सीबीआइ अब तक 40 ऐसे परिवारों से संपर्क कर चुकी है, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने पते के साथ अपनी विस्तृत शिकायतें जमा की हैं। उन्होंने कहा, हम इन शिकायतों की गंभीरता की जांच करेंगे और तदनुसार आगे की जांच के लिए अधिकारियों को उनके आवास पर भेजेंगे। सीबीआइ अधिकारियों को संदेह है कि और भी परिवार हैं जिन्हें आश्वस्त करना होगा ताकि वे अपने डर से बाहर निकल सकें और जांच एजेंसी को पूरी जानकारी दे ताकि कार्रवाई की जा सके।

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