लखनऊ, NOI : देश की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश लेकर सैन्य अफसर बनने का बालिकाओं का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल में दिन रात मेहनत कर रहीं 15 बालिकाएं इस साल होने वाली एनडीए परीक्षा में शामिल होकर इतिहास रचेंगी। यह देश का पहला स्कूल बन जाएगा, जहां से पढ़ने वाली बालिका कैडेट एनडीए की दस्तक देंगी। सन 1960 में स्थापित देश के इस पहले सैनिक स्कूल से एनडीए की दूरी 1406 किलोमीटर है और बालिकाओं के पास खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए तीन माह का समय ही बचा है।

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पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने बालिकाओं को भी एनडीए परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया था। बुधवार को ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बालिकाओं को एनडीए परीक्षा में शामिल करने की जानकारी दी। इस साल नवंबर में एनडीए की प्रवेश परीक्षा प्रस्तावित है। बालिकाओं को एनडीए में भेजने की पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। पहली बार वर्ष 2018 में बालिकाओं के लिए सैनिक स्कूल के दरवाजे खुले। कक्षा नौ के लिए 15 बालिकाओं का पहला बैच इस स्कूल में आया। अब तक स्कूल में आए चार बैच को मिलाकर बालिकाओं की संख्या 60 हो गई है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने पिछले दिनों स्कूल के आधुनिक प्रेक्षागृह का उदघाटन व आधुनिक छात्रावास का शिलान्यास किया।

इतनी कर रहीं मेहनत: पहले बैच की छात्रा कैडेट सृष्टि भी इस साल एनडीए की परीक्षा देंगी। वह अपनी साथियों के साथ सुबह चार बजे उठकर पीटी में शामिल होती हैं। इनका जीवन एनडीए कैडेट की तरह होता है। सभी बालिका कैडेट सुबह छह बजे से 6:30 तक पीटी, आठ से 8:30 तक नाश्ता, 8:30 बजे से असेंबली के बाद 1:30 बजे तक पढ़ाई करती हैं। दोपहर 1:40 बजे से मेस में लंच के बाद शाम चार से पांच खेलकूद, छह से आठ बजे तक पढ़ाई, आठ से नौ तक डिनर, नौ से 10 बजे रात तक अपनी अगली तैयारियां करती हैं। हर सोमवार को ड्रिल, परेड के अलावा वह स्वीमिंग, एनसीसी गतिविधि, इंटर हाउस स्पोर्ट्स, ड्रामा, वाद विवाद जैसी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती हैं। इस शिल्पी ने दिया मूर्त रूपबालिकाओं को सैनिक स्कूल में प्रवेश देकर उनको एनडीए भेजने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल को मूर्त रूप ले. कर्नल उदय प्रताप सिंह ने दिया। स्कूल के रजिस्ट्रार ले. कर्नल उदय प्रताप सिंह ने बालिकाओं के एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर उनको ट्रेनिंग, छात्रावास और पढ़ाई की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। आज ले. कर्नल सिंह की रखी बुनियाद पर कामयाबी की इमारत खड़ी होती दिख रही है।

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