रांची,NOI: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आज जन्‍मदिन है। बड़े सरल और सहज स्‍वभाव के भागवत लोगों से आसानी से मिलते जुलते हैं। हंसमुख व्यक्ति हैं। परिवार में जाकर लोगों से मिलना इन्‍हें काफी अच्छा लगता है। डॉ. मोहन मधुकर राव भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र प्रांत के चंद्रपुर में हुआ था। मात्र 4 वर्ष की आयु में ये संघ के स्वयंसेवक बने। इनके पिता मधुकर राव ने गुजरात के प्रांत प्रचारक से वापस होकर पारिवारिक जीवन शुरू किया था। इस कारण से पूरा परिवार ही संघ से परिचित था।

आरएसएस में आने से पहले पशुचिकित्‍सक थे

मोहन भागवत पशुचिकित्सक बनने के बाद 1974 में आरएसएस के प्रचारक बन गए। विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए 1994 में उत्तर पूर्व क्षेत्र (झारखंड बिहार) के सह प्रचारक बने और 1995 में क्षेत्र प्रचारक का दायित्व मिला। 1998 तक क्षेत्र प्रचारक रहे। 1999 में अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख बने और वर्ष 2000 में सरकार्यवाह व 2009 में सरसंघचालक बन गए।

बस की छत पर भी किया सफर

क्षेत्र प्रचारक के नाते बिहार और वर्तमान के झारखंड में इनका प्रवास होता था। उस समय संघ कार्यालयों में कार की उपलब्धता नहीं थी। ऐसी स्थिति में वे बस में बैठकर एक जिला से दूसरे जिला में प्रवास किया करते थे। संघ के एक पुराने स्वयंसेवक के अनुसार बिहार के कई इलाकों में उस समय बस की संख्या कम रहने के कारण भीड़ ज्यादा होती थी। वैसी स्थिति में लोगों को छत पर बैठकर सफर करना होता था।

उन लोगों में कभी-कभी मोहन भागवत भी शामिल रहते थे। पटना में तो वे स्वयं स्कूटर चलाकर प्रवास करते थे। बाइक पर कार्यकर्ताओं के पीछे बैठकर कहीं जाने में भी वे नहीं हिचकते थे। उन्होंने इस वर्ष ही मुजफ्फरपुर संघ कार्यालय के उद्घाटन के दौरान स्वयं कहा था कि मैं तो पैदल ही इस शहर में कार्यकर्ताओं के घर जाया करता था। उस समय ऐसी सुविधा नहीं थी।

परिचय होने के बाद नहीं भूलते

पिछले वर्ष ही रांची प्रवास के दौरान उन्होंने कहा था कि मैं परिवार में जाकर लोगों से मिलना तो चाहता हूं, लेकिन मेरी व्यस्तता बढ़ने के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। संघ के पुराने स्वयंसेवक और झारखंड प्रांत के सह पर्यावरण संरक्षण गतिविधि संयोजक सच्चिदानंद मिश्र ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि क्षेत्र प्रचारक रहते समय प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं को कभी नहीं लगा कि भागवत बड़े अधिकारी हैं। वर्षों पहले जिन कार्यकर्ताओं से एक बार परिचय हो गया, उसे वे कभी नहीं भूलते हैं। अधिकतर लोगों के नाम भी उन्हें याद हैं।

 भाई हैं मोहन भागवत

मोहन भागवत दो भाई हैं। भागवत परिवार में बड़े भाई हैं। इनके छोटे भाई वकील हैं और महाराष्ट्र में चंद्रपुर विभाग के विभाग संचालक हैं।

अच्छे गायक और वादक भी हैं

मोहन भागवत अच्छे गायक और वादक भी हैं। संघ में उन्होंने कई गीत लिखे हैं। घोष में रचना भी दी है। बांसुरी के बहुत ही अच्छे वादक हैं। कई भाषाओं के जानकार भी हैं। मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व बंगला बहुत अच्छे से बोलते हैं। संघ कार्य की दृष्टि से इन्‍होंने कई देशों की यात्रा की है। अभी इनका केंद्र नागपुर है।

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