International Yoga Day 2023: कहीं भी कर सकते हैं योग की इन मुद्राओं का अभ्यास, दूर होगा तनाव और बदन दर्द
योग की मुद्राएं, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य को होगा फायदा
प्राण मुद्रा
जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है, यह मुद्रा प्राण यानी जीवन के बारे में है। यह व्यक्ति की ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा प्राण मुद्रा आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करके, थकान और अनिद्रा से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है। प्राण मुद्रा के लिए अंगूठे की नोक को अनामिका और छोटी उंगली की नोक से स्पर्श करें। वहीं अन्य दो उंगलियों को फैलाएं। ध्यान रखें कि इस मुद्रा को लेटकर न करें।
ज्ञान मुद्रा
यह सबसे आम मुद्रा है और माना जाता है कि यह एकाग्रता, ज्ञान और याददाश्त को बढ़ाने में मदद करती है। ज्ञान मुद्रा करने के लिए कुछ खास करने की जरूरत नहीं होती। इसे बैठकर, खड़े होकर या फिर लेट कर भी किया जा सकता है। हालांकि, इसे करते हुए ध्यान रखना आवश्यक होता है कि आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए। ज्ञान मुद्रा करने के लिए, अंगूठे की नोक को तर्जनी की नोक के साथ जोड़ें और बची हुई तीन उंगलियों को फैलाएं। ऐसा करते समय अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
वायु मुद्रा
वायु मुद्रा शरीर के अंदर की हवा को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह शरीर और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मददगार है। इसके अलावा वायु मुद्रा गठिया, गाउट या सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है। यहां तक कि यह पोलियो और पार्किंसंस के रोगियों के दर्द को दूर करने में भी मददगार हो सकता है। वायु मुद्रा अन्य आसन को करने में भी मदद करती है क्योंकि यह शारीर के दर्द को कम करती है, जिससे दूसरे आसन को करने में आसानी होती है। वायु मुद्रा करने के लिए तर्जनी उंगली को अंगूठे की ओर घुमाएं ताकि उसकी नोक अंगूठे के टीले को छू सके। वहीं अन्य तीन उंगलियों को फैलाकर रखें।
सूर्य मुद्रा
सूर्य मुद्रा को अग्नि मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है, यह शरीर में गर्मी की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करती है। सूर्य मुद्रा शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में भी मदद करती है, जिससे वजन कम होता है, मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है, आंखों की रोशनी में सुधार होता है, कब्ज, अपच, सामान्य सर्दी समेत समस्याओं से भी राहत मिलती है। सूर्य मुद्रा करने के लिए, अंगूठे को इस तरह से मोड़ें कि उसकी नोक आपके अंगूठे के आधार को छू ले। अनामिका के दूसरे चरण पर अंगूठे से धीरे से दबाव डालें। अन्य अंगुलियों को फैलाएं। ध्यान रखें कि अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं, तो इस मुद्रा को करने से बचें।
पृथ्वी मुद्रा
यह मुद्रा आपको पृथ्वी यानी धरती से जुड़ने में मदद करती है। पृथ्वी मुद्रा शरीर को मजबूत करके और थकान को कम करके अनावश्यक विचारों से मुक्त होने में मदद करती है, जिससे एक संतुलित जीवन जीने में मदद मिलती है। पृथ्वी मुद्रा के लिए अंगूठे की नोक को अपनी अनामिका की नोक से स्पर्श करें। वहीं, अन्य उंगलियों को फैलाकर रखें। ध्यान रहे कि इस मुद्रा को भी प्राण मुद्रा की तरह लेटकर नहीं करना चाहिए।
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