गोरखपुर, NOI : MLA Dr. Radha Mohan Das Agarwal Report Card: गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने जनता की मांग पर सड़कें तो कई बनवाईं, लेकिन जलभराव से निजात न दिला सके। यह सड़कें शहरी होने का अहसास तो कराती हैं, लेकिन बारिश में होने वाला जलभराव उनके इस गुमान को नेस्तनाबूद करता दिखाई देता है। आवास विकास या विकास प्राधिकरण की कालोनियां हों या फिर नगर निगम का इलाका, ऐसी कोई जगह नहीं, जहां के लोग जलभराव से जूझने को मजबूर न हों। स‍िंघडि़या के पास गोरक्षनगर, प्रकृति नगर, वसुंधरा नगर और टीबी अस्पताल के पास गोकुल नगर व मेडिकल कालेज रोड के आसपास की कालोनियों में अभी भी भारी जलभराव है।

बरसात में नाला बन जाती हैं अध‍िकांश सड़कें

टीबी अस्पताल में जाने के लिए तीन फीट पानी से होकर गुजरना पड़ेगा। नगर विधायक की गली में भी पूरे बरसात भर जलभराव रहता है। छोटे-बड़े करीब ढाई सौ नालों की तल्लीझार सफाई का दावा किया जाता रहा है, लेकिन पहली बारिश में ही उसकी हकीकत नजर आ जाती है। मोहल्लों में जलभराव से वे सड़कें भी टूट गई हैं, जो हाल ही में बनी थीं। शहर की एक बड़ी समस्या कूड़े का स्थायी निस्तारण न होना भी है। शहर को उम्मीद थी कि उन्हें इसका निदान मिलेगा, लेकिन न डंपिंग ग्राउंड मिला और न सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट चला। शहर से रोज लगभग 550 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है, जो एकला बांध पर फेंका जा रहा है। इसे लेकर आए दिन विवाद की स्थिति बनती है।

गड्ढे में तब्दील हुईं आधा दर्जन सड़कें

शहर की आधा दर्जन से अध‍िक सड़कें गड्ढे में तब्दील हो चुकी हैं। नगर विधायक के आवास को जाने वाली रुस्तमपुर से आंबेडकर चौक तक की सड़क टूटकर पिछले तीन वर्षों से गड्ढे में तब्दील है। इस सड़क को बनवाने के लिए निजी कंपनियों से करार होने की भी बात उठी थी, लेकिन यह सड़क राहगीरों के लिए अभी भी मुसीबत का सबब बनी हुई है। विकसित होने का दम भरने वाली ऐसी कई कालोनियां और मोहल्ले हैं, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। कई मोहल्लों में जर्जर पोल व तार दुर्घटना को दावत दे रहे हैं तो कई जगह स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। अंडरग्राउंड केबल बिछाने का काम भी गोलघर, बक्शीपुर, पुराना गोरखपुर, आर्यनगर, धर्मशाला तक ही पहुंच पाया है।

मैने अपनी राजनीत‍ि को खतरे में डालकर मुद्दों का उठाया : राधा मोहन

नगर विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा क‍ि डेढ़-दो साल पूर्व से ही मुझे जलभराव का अनुमान था। भाजपा की सरकार होने के बावजूद मैंने अपनी राजनीति को खतरे में डालकर सड़क से लेकर विधान सभा तक लगातार यह मुद्दा उठाया कि मेडिकल कालेज रोड का नाला, कालोनियों से एक से डेढ़ मीटर ऊंचा बन रहा है। देवरिया रोड को लेकर भी मैं लड़ता रहा कि नाला तथा रोड बेतरतीब है। इससे शहर डूब जाएगा। मुझे पीड़ा इस बात की है कि विभाग व पार्टी ने नहीं समझा कोई बात नहीं, लेकिन जिन नागरिकों के लिए मैं लड़ रहा था, वे भी नहीं समझ पाए कि उनका विधायक उन्हें बता रहा है कि वे डूब जाएंगे। कमिश्नर ने रास्ता निकालने का आश्वासन दिया है। विधायक निधि से मैंने सौ फीसद गुणवत्ता की 50 साल चलने वाली सड़कें बनवाईं, यह नागरिक कहते हैं। लेकिन नागरिकों को समझना चाहिए कि सिर्फ जनप्रतिनिधि को चुनना ही महत्वपूर्ण नहीं है, उसके साथ खड़ा होना और लडऩा भी महत्वपूर्ण है।

पहली-दूसरी बरसात में ही 40 फीसद निवासियों को जलभराव का सामना करना पड़ता है। पहले विधायक कहते थे कि सरकार नहीं सुन रही है, लेकिन अब तो उन्हीं की सरकार है। यदि उनकी भी सरकार नहीं सुन रही है, तो उन्हें पद से इस्तीफा देकर जनता के साथ संघर्ष करना चाहिए। वह नगर निगम के पदेन सदस्य हैं, लेकिन बोर्ड बैठक में शामिल नहीं होते हैं। इससे उन्हें अंतिम व्यक्ति की समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं होती है। एमएमएमयूटी नाले का निर्माण उन्हीं के चलते रुका, जिसकी वजह से आज 30-35 हजार नागरिक जलभराव का सामना कर रहे हैं। - राणा राहुल स‍िंह, निकटतम प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस।

नगर विधायक ने बेहतर कार्य किया है। अनेक कालोनियों में सीसी रोड उन्होंने बनवाई है। अभी तक ज्यादातर पतली सड़कों का ही निर्माण हो पाया है। अनेक कालोनियों की सड़कों का भी निर्माण कराए जाने की जरूरत है। जो सड़कें बनी हैं, वे ठीक हैं। नागरिकों को राहत मिली है। - आलोक दूबे, अभिषेक नगर।

काम तो बहुत हुआ है, लेकिन नगर विधायक की गली में भारी जलभराव आज भी होता है। अभी तक इसका समाधान नहीं हो पाया है। इसके लिए हम लोग कई बार उनसे अनुरोध किए हैं। उन्होंने प्रयास भी किया है। उम्मीद है कि शीघ्र ही समस्या का समाधान हो जाएगा। - विनोद यादव, दाउदपुर।

हम लोग जलभराव से जूझ रहे हैं। ङ्क्षसघडिय़ा से गोरक्षनगर जाने वाली रोड पर घुटने भर पानी लगा है। लोग घरों में कैद हैं। मेरे पति निजी फर्म में नौकरी करते हैं, वे कार्यालय नहीं जा पा रहे हैं। मुसीबतें बढ़ गई हैं। विधायक ने कभी हाल भी नहीं पूछा। - रीता देवी, गोरक्षनगर।

वर्षों से हम लोग जलभराव से जूझ रहे हैं। इस समय न तो सब्जी आ पा रही है न दूध। जो घर में है, उसी से काम चलाया जा रहा है। घर से निकलना मुश्किल है। बड़े भी घर से नहीं निकल पा रहे हैं। विधायक को आकर देखना चाहिए। - सतीश मिश्रा, गोरक्षनगर।

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